किस पाबंदी में जीते हो ?
जीते हो या मरने का इंतजार करते हो?
क्या मिला, क्या छूट गया
ये गिनती क्यों गिनते हो ?
इस पल में यादें बना रहे हो,
या बीती यादों में कैद बैठे हो ?
जो सही था वो था भी,
जो गलत था, वो क्यों था
किसे फर्क है…
लौट आओ उस जहान से,
जो मुकम्मल ना हो सका
देख लो इस जहान को
जो तेरे खून से है बना
क्या जो हश्र तुम्हारे सपनों का हुआ है,
वही हकीकत का भी चाहते हो ?
क्यों गिनती की सांसों को,
उस आवेश में गवाते हो,
जाने दो, रहने दो…
अतीत भी अच्छा था,
भविष्य भी अच्छा होगा
फिर इस वर्तमान में तुम यूं
किस पाबंदी में जीते हो ?
Writer: Anubhav Shankar
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