Hindi, Story

असली-धन | Asli Dhan

two people holding cake with lit candles

Photo by Ami Suhzu on Pexels.com

शाम का धुंधलका बढ़ रहा था तकरीबन सात बज चुके थे बिरजू पैदल अपने कंधे पर अपना मिस्त्री का समान उठा अपने घर की और बढ़ रहा था पेशे से एक मकान बनाने वाला मिस्त्री है बिरजू जोकि रोज चौंक पर जाकर सुबह खड़ा होकर काम करवाने वाले मालिकों की राह तकता था यही उसकी पारिवारिक रोजी रोटी कमाने का एकमात्र साधन है

बीते दो दिनों से वह एक बंगले की रिपेयरिंग का काम कर रहा था वही अपना काम निपटाकर वह वापस पैदल घर की और बढ़ रहा था कि अचानक हलवाई की दुकान पर नजरें पड़ते ही उसे अपनी पत्नी सुधा की बात याद आई सुधा ने दो दिनों पहले ही उसे कहा था परसों अपनी दोनों बेटियों का जन्मदिन है भूल मत जाना उनके लिए कुछ मीठा लेते हुए आना

आज के काम की दिहाड़ी पूरे साढ़े चार सौ रूपए मिली थी उसे साथ में उसके काम से खुश होकर बंगले की मालकिन ने एक चाकलेट का पैकेट भी पकड़ा दिया था क्योंकि सुबह ही काम करते हुए उन्होंने उससे पूछा था घर में कौन कौन है आपके भैया … तब बिरजू ने मालकिन को बताया था कि उसके अलावा उसकी पत्नी सुधा और दो बेटियां हैं आस्था और आराध्या और आज बडी बेटी का जन्मदिन भी है

तो आते वक्त उन्होंने बिरजू को चाकलेट का पैकेट दिया था दोनों बच्चियों के लिए… सेठजी… ढाई सौ ग्राम रसगुल्ले तोल देना… कंधे से समान उतारते हुए बिरजू बोला और पेंट के अंदर की चोर जेब से रूपये निकालकर उसने हलवाई की ओर बढ़ा दिए हाथ में मिठाई आते ही उसे ऐसा लगा कि जैसे उसने आस्था और आराध्या की लाखों रुपए वाली खुशी खरीद ली हो दोनों को रसगुल्ले बहुत पसंद है

मन ही मन मुस्कुराते हुए बिरजू तेजी से कदम बढ़ाने लगा उसे घर जाने की जल्दी जो थी क्योंकि उसकी बेटी का जन्मदिन जो था की अचानक एक गारमेंट की दुकान देखकर उसके कदम रुक से गए फिर सहसा ही उसे याद आया जिस घर में वो मिस्त्री का काम करके लौटा है

वहां बंगले मालिक के बच्चे भी तकरीबन उसकी बेटियों की उम्र के ही थे बंगले मालिक के बच्चों ने कितने मंहगे कपड़े पहने हुए थे और हां दोनों बच्चों के पास मोबाइल भी था वो भी अलग-अलग बड़े वाला और वो दोनों बात बात पर माम डांड जाने क्या क्या कहकर साहब मैडम को बुला रहे थे

कितनी अच्छी किस्मत है उनकी अच्छा बड़ा घर, नये नये बढ़िया कपड़े बड़ा टीवी मोबाइल और भी जाने क्या क्या था और एक में … क्या दे पाया अबतक अपने बच्चों को यही सोचते हुए उसकी आंखें भीग गई और मन कुंठित हो गया वह उदास सा हो गया था आस्था के पास ले देकर एक ही अच्छा सूट सलवार है जिसे वो हर त्यौहार पर पहन लेती है और फिर बक्से में रख देती है

अगली बार के लिए … तो वहीं आराध्या कभी कभी जिद कर जाती है नए कपङो की ….छोटी है ना अभी उसे अभी समझ नहीं है उसने मन ही मन पक्का किया कि कैसे भी जोङ तोङ और मेहनत से रूपए बचाकर वो अपनी दोनों बेटियों को नए कपड़े तो दिलाने ही है अभी मेरी और सुधा की तो चल ही रही है

उसने तो शुरू से ही मेरे साथ निभाया है कभी कोई शिकवा शिकायत नहीं की उन्हीं दो पुरानी साड़ियों में ही खुश रहती है मेरी तरह ,ले देकर उसके पास भी वही पुरानी पेंट कमीज है जो एकबार एक फ्लैट में काम करते हुए खुशी से फ्लैट मालिक ने उसे दी थी मगर मेरी बेटियां आखिर उन्हें दे क्या पाता हूं कभी दिन त्योहार पर नये कपड़े नहीं लेकर दे पाया अबतक

आज मेरी बेटी का जन्मदिन है आज भी … उसकी मिठाई खरीदने की खुशी दूर उङ चुकी थी सोचते सोचते बिरजू घर आ पहुंचा दरवाजे पर कदमों की आहट से रोज की भांति सुधा तुरंत बाहर निकल आई थी और रोज की ही भांति एक आत्मीय मुस्कान के साथ उसने बिरजू का मुस्कुराते हुए स्वागत किया बिरजू ने पूछा ही था की आस्था और आराध्या के बारे में कि भीतर से दोनो पापाजी पापाजी कहते हुए सामने आ खङी हो गई और उसे स्नेह पूर्वक पकड़ कर अंदर ले आई आस्था जहां दौड़कर पानी लाई थी प्लेट में सजाकर तो वहीं आराध्या तो लिपट ही गई थी

उससे… अचानक बिरजू की आंखों मे आज दोपहर का दृश्य तैर गया जब वह उस बंगले की मालकिन के यहां दीवार रिपेयरिंग कर रहा था तो मैडम ने अपनी बेटी को एक कप चाय बनाने के लिए कहा था क्योंकि उनका सिर दर्द कर रहा था लेकिन उनकी बेटी भिनभिनाती पैर पटकती सोफे पे पसर गई थी टीवी के सामने ये कहके कि उसका पसंदीदा सीरियल आ रहा है

तुम खुद बना लो ये सब स्मरण होते ही बिरजू के मन से सारी कुंठा हवा हो गई उसने मिठाई का पैकेट आस्था को थमाया और आराध्या को चाकलेट का और आस्था आराध्या को चूमते हुए कहा जन्मदिन की शुभकामनाएं बेटा ईश्वर तुम्हें हमेशा खुश रखे अपनी पसंदीदा मिठाई चाकलेट पाकर दोनों बेटियों खुशी से चहकने लगी ये देखकर बिरजू और उसकी पत्नी सुधा भी मुस्कराने लगे बिरजू के मन में आ रही कुंठा ने अब अपनी जगह संतुष्टि को दे दी थी वो समझ गया था कि संस्कार और अपनापन ही असली धन है जो उसके पास एक परिवार के रूप में भरपूर मौजूद है

Leave a Reply