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जहां स्वार्थ होगा वहां दुख भी होगा | Where there is selfishness there will be sorrow

photo of man leaning on wooden table

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पुराने समय में एक व्यक्ति बहुत गरीब था। उसके पास कुछ भी नहीं था। दुखी रहता था। वह एक दिन गांव के विद्वान संत के पास गया और अपनी सारी परेशानियां बता दीं। संत को उस पर दया आ गई और उन्होंने गरीब को पारसमणी दे दी। संत ने कहा कि इससे तुम जितना चाहे उतना सोना बना लो। तुम्हारी गरीबी हमेशा के लिए दूर हो जाएगी।

पारस पत्थर से गरीब व्यक्ति ने बहुत सारा सोना बना लिया। अब वो धनवान हो गया। उसके पास सुख-सुविधा की हर चीज थी। अपार धन था। फिर भी वह दुखी रहने लगा। अब उसे अपने धन की चिंता लगी रहती थी। उसे चोरों का डर सताता, राजा का डर लगा रहता। इतना धन होने के बाद भी उसके जीवन में सुख-चैन नहीं था। एक दिन वह फिर से उसी संत के पहुंचा।

संत ने उससे कहा कि अब तो तुम्हारी गरीबी दूर हो गई है, तुम्हारे पास सब कुछ है। उस व्यक्ति ने कहा कि महाराज मेरे पास धन तो बहुत है, लेकिन मेरे जीवन में शांति नहीं है। आप कोई ऐसा उपाय बता दें, जिससे मेरा मन शांत हो जाए और मेरा सारा डर खत्म हो जाए। संत ने कहा कि ठीक है, वह मणी मुझे वापस दे दो।

इसके लिए व्यक्ति ने मना कर दिया, उसने कहा कि महाराज मैं पारस पत्थर नहीं दे सकता, अब मैं फिर से गरीब नहीं बनना चाहता। आप मुझे कोई ऐसा सुख दीजिए जो अमीरी और गरीबी में बराबर मिलता रहे और मृत्यु के समय भी कम न हो।

संत ने कहा कि ऐसा सुख तो भगवान की निस्वार्थ भक्ति में ही मिल सकता है। जो लोग बिना किसी स्वार्थ के भक्ति करते हैं, वे अमीरी-गरीबी और मृत्यु के समय, हर हाल सुखी रहते हैं। जहां किसी भी तरह का स्वार्थ रहता है, वहां दुख हमेशा रहता है। दुखों से मुक्ति चाहते हैं तो भगवान का ध्यान करें, लेकिन बिना किसी स्वार्थ के।

Source Youtube

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